‘हमारा प्याज, हमारा दाम’ आंदोलन 2021, महारष्ट्र, उत्पादन, शुरुआत, मांग [Hamara Pyaj Hamara Daam, Maharashtra]
प्याज उत्पादन करने वाले किसानो ने एक आंदोलन शुरू किया है इस आंदोलन का नाम ‘हमारा प्याज हमारा दाम’ है. आंदोलन के नाम से ही पता चल रहा है की किसानो द्वारा प्याज की एक फिक्स दाम तय करनी की मांग करी जा रही है. आज इस आर्टिकल में हम आपको प्याज के दाम क्यों तय होने आवश्यक है और किसानो को प्याज आंदोलन का साथ देना क्यों आवश्यक है. इसपर चर्चा करेंगे, उम्मीद है आपको हमारा प्रयास पसंद आएगा और प्याज उत्पादन करने वालों की पीड़ा को आप समझ पायेंगे. आइये जानते है की ‘हमारा प्याज, हमारा दाम’ आंदोलन की शुरुआत कब और कहाँ से हुई –

Table of Contents
‘हमारा प्याज, हमारा दाम’ आंदोलन 2021
नाम | हमारा प्याज, हमारा दाम |
राज्य | महाराष्ट्र |
शुरुआत | 2021 में |
शुरुआत कहाँ से हुई | नासिक जिले की लासलगाँव मंडी से |
शुरू करने वाला संगठन | महारष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन |
आंदोलन प्रभारी | भारत दिघोले |
मांग | प्याज का दाम तय करने का हक़ किसानो को मिले |
हमारा प्याज, हमारा दाम आंदोलन आरंभ
हमारा प्याज, हमारा दाम आंदोलन की शुरुआत महारष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने सबसे बड़े कांदा उत्पादक नासिक की लासलगाँव से करी. इस आंदोलन का प्रचार करने के लिए कांदा उत्पादक संगठन के लोग पदयात्रा निकाल रहे है और गाँव-गाँव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं. संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है की सरकार प्याज के दामों को लेकर किसी तरह का नियम नही बना रही है. कांदा उत्पादकों से ज्यादा जमाखोर मुनाफा कमा रहे है. ऐसे में कांदे का दाम फिक्स तय करने की मांग इस आंदोलन के द्वारा कर रहे हैं. प्याज उत्पादकों के अनुसार जब प्याज उत्पादन होता है उस समय प्याज का दाम कम कर दिया जाता है यह 1 रूपए से लेकर 8 रूपए तक हो जाता है. जबकि बाद में यही प्याज 100 रूपए तक बिकता है. ऐसे में प्याज उत्पादन करने वाले किसान को ज्यादा मुनाफा नहीं होता है.
सरकार प्याज का सही दाम तय करे
हमारा प्याज, हमारा दाम आंदोलन कर्ताओं के अनुसार प्याज का दाम फिक्स कर देना चाहिए सरकार को, क्योंकि जो प्याज किसान से 1 रूपए में लिया जाता है उसी को जमाखोर 100 रूपए तक बेचते हैं. इसलिए सरकार को प्याज का एक फिक्स दाम तय कर देना चाहिए. उन्होंने कहा की अगर सरकार प्याज का दाम 30 रूपए तय कर देती है तो किसानो को अच्छा लाभ होगा और प्याज की खेती में बढ़ावा होगा. यदि सरकार प्याज की खेती की तरफ और किसानो की तरफ ध्यान नहीं देती है तो यह आंदोलन एक उग्र रूप लेने को तैयार है, अभी प्याज उत्पादक जागरूक हो रहे है और एक समय आएगा जब सरकार को इनकी बात माननी पड़ेगी.
जमाखोरों का धंधा चोपट करने की नीति
इस आंदोलन में उन जमाखोरों को टारगेट किया गया है जो प्याज को कम कीमत पर खरीदते है और बाद में इसी प्याज का दाम बढाकर इसे बेचते हैं. आंदोलन कर्ताओं का कहना है की अगर सरकार प्याज का दाम फिक्स कर देती है तो जमाखोरों का धंधा चोपट हो जाएगा. इसलिए अनेक बड़े उद्यमी प्याज पर किसी भी तरह की नीति नहीं बनने दे रहे हैं. इन्ही की वजह से सरकार भी प्याज उत्पादकों की बातों को गहराई से नहीं ले रही है.
प्याज को स्टोर करना किसानो के लिए है मुश्किल
हमारा प्याज, हमारा दाम आंदोलन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने कहा की किसानो पर इतना दबाव होता है की वह प्याज को स्टोर नहीं कर पाते हैं, और ना ही उनके पास कोई ऐसा संसाधन है जिसकी मदद से प्याज को स्टोर कर पाए. 100 किसानो में मुश्किल से 10 किसान ही प्याज का स्टोर ( स्टॉक) कर पातें है. बाकी के किसानो को प्याज बाजार में बेचना पड़ता है. उन्होंने कहा की 25 टन प्याज को स्टोर करने के लिए करीब चार लाख रूपए की लागत आती है, वहीं सरकार सिर्फ 87,500 रूपए ही देती है. वो भी उन लोगों को जिनका लॉटरी में नाम आता है, करीब 2000 किसानो में से मात्र 100 लोगों को ही इसका फायदा मिलता है. अगर सरकार ने प्याज उत्पादकों के बारें में नहीं सोचा तो यह आंदोलन काफी आगे जाएगा क्योंकि इस आंदोलन से प्याज उत्पादक काफी तेजी से जुड़ रहे हैं.
महारष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में भी आंदोलन शुरू
हमारा प्याज, हमारा दाम आंदोलन की शुरुआत महारष्ट्र से हुई थी लेकिन अब इस आंदोलन में तेलंगाना, मध्यप्रदेश, बिहार, यूपी, राजस्थान, गुजरात और कर्नाटक के प्याज उत्पादक भी शामिल हो गये हैं. इन प्याज उत्पादकों की एक ही मांग है की या तो उन्हें प्याज स्टोर करने के लिए सरकार साहयता दे या फिर प्याज का रेट फिक्स कर दिया जाए. चूँकि एक किलो प्याज का उत्पादन करने में 7-8 रूपए की लागत आती है. ऐसे में जब किसान अपना प्याज बाजार में बेचता है तो उसे मात्र 1 रूपए से लेकर 4 रूपए मुश्किल से मिलते है. लेकिन वही प्याज बाद में जमाखोर करीब 50 रूपए से 100 रूपए तक बेचता है.
देश में प्याज उत्पादन
अगर आपको यह लग रहा है की प्याज से जुड़ा यह आंदोलन बेकार है तो एक बार भारत में प्याज उत्पादन पर नजर डाल लीजिये, ताकि आप समझ पायें की यह आंदोलन कितना जरूरी है. भारत में हर साल 2.25 करोड़ से 2.50 करोड़ मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन होता है. भारत में 2020-21 में 15,95,000 हेक्टेयर भूमि में प्याज की खेती करी गई है. इस बार प्याज का उत्पादन 26.9 मिलियन टन होने का अनुमान है. ऐसे में किसान चाहते हैं की उनके प्याज का सही दाम तय कर दिया जाए या फिर उन्हें स्टोर करने में सरकार मदद करें, अन्यथा इस बार भी प्याज उत्पादक घाटे में जायेंगे.
हमने उपर ‘हमारा प्याज, हमारा दाम’ आंदोलन के बारें में विस्तार से बताया है, आपको क्या लगता है प्याज उत्पादकों को सरकार द्वारा मदद मिलनी चाहिए या नहीं ? हमें कमेंट बॉक्स में जरुर बताएं. अपने आस-पास के प्याज उत्पादकों के साथ इस आर्टिकल को शेयर करें ताकि उन्हें भी इस आंदोलन की जानकारी मिल पाए. अगर जमाखोरों से बचना है और आप चाहते हैं की इस बार प्याज का दाम बहुत ज्यादा ना बढ़े तो इस आर्टिकल को शेयर जरुर करें.
FAQ
Q : हमारा प्याज, हमारा दाम आंदोलन क्या दिल्ली किसान आंदोलन का हिस्सा है ?
ANS : नहीं यह आंदोलन दिल्ली किसान आंदोलन का हिस्सा नहीं है, लेकिन आने वाले समय में इसका हिस्सा बन सकता है.
Q : क्या सरकार द्वारा अभी तक प्याज का दाम तय नहीं किया गया ?
ANS : नहीं, सरकार ने प्याज का दाम फिक्स तय नहीं किया है.
Q : यदि सरकार प्याज का दाम 8 रूपए तय करती है तब क्या होगा ?
ANS : 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार एक किलो प्याज के उत्पादन में 7 से 8 रूपए की लागत आती है. अगर सरकार यह रेट तय करती है तो किसान प्याज उत्पादन कम कर देंगे.
Q : भारत में कितने टन प्याज का उत्पादन हर साल होता है ?
ANS : करीब 1.25 करोड़ से 1.50 करोड़ मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन भारत में हर साल होता है.
Q : किसानो के अनुसार प्याज की कीमत कितनी होनी चाहिए ?
ANS : हमारा प्याज, हमारा दाम के तहत किसानो ने 30 रूपए प्याज की कीमत करने की मांग करी है.
Q : इस आंदोलन का सबसे ज्यादा असर किसपर पड़ेगा ?
ANS : जमाखोरों पर इसका असर सबसे ज्यादा पड़ेगा.
Q : प्याज की कीमत अचानक बढ़ने का मुख्य कारण क्या है ?
ANS : किसानों द्वारा प्याज को स्टोर नहीं कर पाना और जमाखोरों द्वारा प्याज की कीमत बढ़ा देना.
Q : प्याज के भाव को कंट्रोल कैसे किया जा सकता है ?
ANS : यदि सरकार किसानो को प्याज स्टोर करने में मदद करे तो प्याज का भाव 30 से उपर कभी नहीं जाएगा.
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