झारखण्ड आजीविका संवर्धन हुनर अभियान 2020 (ASHA योजना, फूलो जानो आशीर्वाद अभियान एवं पलाश ब्रांड) – ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर (लाभ, लाभार्थी, विशेषताएं) (Aajivika Samvardhan Hunar Abhiyan in hindi)
ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं देश में बहुत पिछड़ी रहती है. कम पढ़ी लिखी या अनपढ़ होने की वजह से इन लोगों को रोजगार नहीं मिलता है. कुछ महिलाएं मनरेगा के तहत काम करती है, लेकिन वो साल में 100 दिन का ही होता है, इसके साथ ही कई महिलाएं शारीरिक रूप से इतनी मजबूत नहीं होती है, कि वे मनरेगा के तहत काम कर सकें. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें स्वरोजगार देने के लिए झारखण्ड सरकार ने बहुत सारी कल्याणकारी योजनायें शुरू की है, जिसमें झारखण्ड आजीविका संवर्धन हुनर अभियान या ASHA योजना, फूलो जानो आशीर्वाद अभियान एवं पलाश ब्रांड को लांच किया गया है. ये सभी योजनायें मुख्य रूप से राज्य की ग्रामीण महिलाओं के विकास के लिए है. चलिए जानते है कि योजना के क्या क्या लाभ है, कैसे इनका लाभ महिलाओं को मिल सकता है.

नाम | आजीविका संवर्धन हुनर अभियान (ASHA योजना) |
कहाँ लांच हुई | झारखण्ड |
किसने लांच की | मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन |
कब लांच हुई | सितम्बर |
लाभार्थी | ग्रामीण महिलाएं |
लाभ | महिलाओं को स्वरोजगार देना |
Table of Contents
आजीविका संवर्धन हुनर अभियान (ASHA योजना) क्या है –
झारखण्ड में बहुत से ऐसे छोटे गाँव है, जहाँ आज भी महिलाओं की स्थति ठीक नहीं है. अत्याधिक गरीबी के चलते महिलाएं अपनी आजीविका अच्छे से नहीं चला पाती है. झारखण्ड सरकार ने इन ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाने और अच्छा रोजगार देने के लिए योजना शुरू की है, जिसमें 17 लाख महिलाओं को लाभ मिलेगा. योजना में महिलाओं को ऐसे रोजगार दिए जायेंगें जो स्थानीय तौर पर उन्हें आसानी से करने में सहायक होंगें.
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आशा योजना का उद्देश्य –
झारखण्ड में ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को अपनी आजीविका चलाने के लिए ऐसे काम करने पड़ते थे, जिससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती थी. झारखण्ड में महिलाएं घर पर हडिया, दारू शराब का निर्माण कर उसे सड़क किनारे बेचा करती थी. झारखण्ड के मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि ये बिलकुल गलत काम है, जो राज्य की महिलाएं कर रही है, हम नहीं चाहते है कि हमारे राज्य की महिलाएं ऐसा काम करें. राज्य में जितनी भी महिलाएं दारू शराब बनाकर बेचती उन्हें इस योजना के तहत आजीविका से जोड़ा जायेगा, ताकि उनको अच्छा काम के साथ अच्छा भविष्य भी मिले.
आजीविका संवर्धन हुनर अभियान (ASHA योजना) के अंतर्गत मिलने वाले रोजगार –
सरकार योजना के अंतर्गत सभी ग्रामीण महिलाओं को उनके आसपास ही रोजगार देगी, जिससे उन्हें अपने घर परिवार से ज्यादा दूर नहीं जाना होगा, उन्हें अपने गाँव क्षेत्र में ही काम मिल जायेगा. ये निम्नलिखित रोजगार महिलाओं को दिए जायेंगें जिससे वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकेंगी –
- कृषि से जुड़ा काम
- पशुपालन
- वनोपज संग्रहण
- वनोपज प्रसंस्करण
- उद्यमिता
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आजीविका संवर्धन हुनर अभियान (ASHA योजना) की विशेषताएं –
- झारखण्ड सरकार ने एक डेटाबेस तैयार किया है, जिसमें प्रदेश के लगभग 4.7 लाख प्रवासी मजदूर परिवार की जानकारी है, सरकार ने कहा है कि इसमें से लगभग 3.6 लाख महिलाओं के परिवार को आशा योजना से लाभ मिलेगा.
- झारखण्ड की ग्रामीण विकास परियोजना के अंतर्गत जितनी भी योजना लागु हो रही है, उसमें राज्य सरकार ने 1200 करोड़ का बड़ा बजट पास किया है, ताकि योजना अच्छे से जल्द लागु होकर सबको लाभ दे सके.
- इस अभियान के अंतर्गत राज्य सरकार ग्राम क्षेत्र की सभी महिलाओं को रोजगार और स्वरोजगार के तहत काम देगी.
- राज्य में हडिया दारू शराब बनाकर उसे बेचना समाज के लिए एक अभिशाप की तरह है, महिलाएं मजबूरी में आकर ये काम करती है, ताकि वो अपने परिवार का अच्छे से पालन पोषण कर सके. सरकार ने बताया कि आजकल ग्राम क्षेत्र की महिलाएं इस काम का विरोध करती आ रही है, वे नहीं चाहती है कि उनकी आने वाली पीढ़ी भी ये काम करे और अभिशाप का हिस्सा बने.
- इस दलदल से निकालने के लिए ही झारखण्ड सरकार ने 29 सितम्बर को झारखण्ड आजीविका संवर्धन हुनर अभियान या ASHA योजना, फूलो जानो आशीर्वाद अभियान एवं पलाश ब्रांड अभियान की शुरुवात की गई है.
- झारखण्ड सरकार ने ग्रामीण महिलाओं के लिए लांच की तीनों योजनाओं को हर गाँव में ग्राउंड लेवल पर लागु करने के आदेश दिए है.
पलाश ब्रांड क्या है –
झारखण्ड राज्य सरकार ने ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए पलाश नाम की एक ब्रांड की शुरुवात की है. अब जो भी सामान ग्रामीण महिलाएं बनाएगी उसे पलाश ब्रांड का नाम देकर बेचा जायेगा. आजकल ब्रांडेड चीजों का जमाना है, लोग कोइ भी सामान लेने से पहले ब्रांड का नाम और उसकी विश्वसनीयता देखते है, लोकल चीज बिना नाम के विश्वसनीय नहीं होती है. झारखंड सरकार पलाश ब्रांड को विश्व स्तर पर ऊँचा दर्जा दिलाने की तैयारी में है, जिससे राज्य की महिलाओं के विकास के साथ उनका सशक्तिकरण भी होगा. राज्य मुख्यमंत्री ने इसकी जानकारी देते हुए कहा है कि जैसे हमारे देश में टाटा, अमूल, बाटा ब्रांड नाम से चलती और फेमस है, वैसे ही अगर पलाश ब्रांड में अच्छे से काम किया गया तो यह भी बहुत आगे जा सकती है.
देश में चलने वाली बड़े बड़े पापड़, आचार, दूध की ब्रांड को महिला सहायता ग्रुप द्वारा संचालित किया जाता है, जो आज देश के साथ विदेश में भी बड़ा नाम कमा रही है. पलाश ब्रांड को भी महिलाओं के सहायता समूह द्वारा ही चलाया जायेगा है, जिसमें ये महिलाएं तरह तरह के उत्पाद बनाकर देश विदेश में बेचेंगी.
सरकार ने राज्य और अन्य लोगों से अपील की है कि लोग ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी पलाश ब्रांड का प्रयोग करे. इसके आइटम विदेशी ब्रांड की तुलना में बहुत सस्ते और अच्छी गुणवत्ता के होंगें.
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पलाश ब्रांड के अंतर्गत बनने वाले उत्पाद –
पलाश ब्रांड के अंतर्गत महिलाएं तरह तरह के प्रोडक्ट बनायेंगी. इसमें अभी शुरुवात में महिलाएं कई तरह के खाने-पीने के पदार्थ बनायेंगी, जिसे देश में पलाश ब्रांड के नाम के साथ बेचा जायेगा. आने वाले समय जैसे जैसे और महिलाएं जुड़ेंगी, इसमें और भी सामान जैसे चप्पल-जूते, कपडे, साड़ी, चादर, सजावट का सामान आदि बनाने का काम होगा.
फूलो झानो आशीर्वाद योजना क्या है –
दारू शराब जैसे जहर को बनाकर बेचने वाली महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जायेगा, जो समाज को होने वाले नुकसान से बचाएगी. इन सभी ग्रामीण महिलाओं को सही काउंसिलिंग दी जाएगी, जिससे सही तरीके से उन्हें आजीविका चलाने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा.
FAQ –
Q: आजीविका संवर्धन हुनर अभियान का मुख्य उद्देश्य क्या है?
Ans: महिलाओं को रोजगार प्रदान करना
Q: फूलो-झानो योजना के लाभार्थी कौन है?
Ans: ग्रामीण महिलाएं
Q: पलाश ब्रांड कहाँ की है?
Ans: झारखण्ड
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